लक्ष्य सेन को कुमामोटो मास्टर्स में केंटा निशिमोटो ने हराया, भारत का टूर्नामेंट सफर समाप्त

| 18:40 अपराह्न
लक्ष्य सेन को कुमामोटो मास्टर्स में केंटा निशिमोटो ने हराया, भारत का टूर्नामेंट सफर समाप्त

शनिवार को कुमामोटो प्रीफेक्चुरल जिम्नेजियम में एक ऐसा मैच खेला गया, जिसने भारतीय बैडमिंटन के दिल को धड़कने दिया — और फिर टूट दिया। लक्ष्य सेन, विश्व रैंकिंग में 12वें नंबर पर, ने अपनी जबरदस्त लड़ाई के बावजूद केंटा निशिमोटो के हाथों 21-19, 14-21, 21-12 से हार दी। यह मुकाबला, जो कुमामोटो मास्टर्स जापान 2025कुमामोटो सिटी का सेमीफाइनल था, एक घंटे से ज्यादा चला — और अंत में भारत का अंतिम खिलाड़ी बाहर हो गया।

एक गेम जहां उम्मीदें जिंदा रहीं

पहले गेम में लक्ष्य ने शुरुआत बेहद तेज की। 8-3 की बढ़त बनाकर जापानी दरवाजे पर दस्तक दी। लेकिन निशिमोटो, जो घर के मैदान पर खेल रहा था, धीरे-धीरे अपनी रफ्तार बदलने लगा। उसने लगातार नेट पर बॉल लगाकर लक्ष्य के आक्रमण को बाधित किया। 18-18 के बाद दो लगातार पॉइंट्स लेकर जापानी खिलाड़ी ने पहला गेम जीत लिया। यह वही जगह थी जहां अधिकांश भारतीय खिलाड़ी टूट जाते हैं — जब आप लगभग जीत चुके होते हैं, लेकिन दबाव आपके हाथ से फिसल जाता है।

दूसरा गेम: एक जागृत भारत

दूसरे गेम में लक्ष्य ने अपनी आत्मा बाहर निकाल दी। 1-5 से पीछे होने के बाद उन्होंने अपनी रैलियों को बदल दिया — कोई जोरदार स्मैश नहीं, बल्कि चालाकी, फेक्स और टाइमिंग। उन्होंने निशिमोटो को अपने रिदम में खेलने के लिए मजबूर कर दिया। जब वे 21-14 से गेम जीत गए, तो दर्शकों के बीच से एक गूंज उठी — न सिर्फ जापानी, बल्कि भारतीय फैन्स के लिए भी। यह वह पल था जब लगा जैसे भारत फाइनल में पहुंच रहा है।

तीसरा गेम: जापान की बिजली

लेकिन तीसरा गेम अलग कहानी थी। निशिमोटो ने अपने शॉट्स को और तेज, और अधिक सटीक बना लिया। उन्होंने लक्ष्य के बैककॉर्ट को टारगेट किया, और जब लक्ष्य ने वापसी की कोशिश की, तो निशिमोटो ने नेट पर फेंके गए शॉट्स से उन्हें फंसा दिया। 14-7 की बड़ी बढ़त के बाद, लक्ष्य के चेहरे पर थकान और निराशा साफ दिख रही थी। अंतिम स्कोर 21-12 — एक ऐसा अंत जो बहुत कम लोगों के लिए अपेक्षित था, लेकिन जिसकी तैयारी निशिमोटो ने अपनी शुरुआती गलतियों से की थी।

इतिहास और आंकड़े: एक बार फिर टकराव

इतिहास और आंकड़े: एक बार फिर टकराव

यह दोनों के बीच छठा मुकाबला था। लक्ष्य सेन के पास तीन जीत थीं, लेकिन अब तीन हारें भी। यह एक अजीब दौर था — कभी विश्व नंबर 2 एंडर्स एंटनसन को हराते हुए, तो कभी पहले राउंड में ही बाहर। इस सीजन में लक्ष्य ने 19 टूर्नामेंटों में से 11 में पहले दौर में ही बाहर होना स्वीकार किया। लेकिन जब वह जीतता है, तो वह जीत का मानक बदल देता है। हांगकांग ओपन का फाइनल और मकाऊ ओपन का सेमीफाइनल — ये उसकी उड़ान के निशान थे।

भारत का सफर: एक खिलाड़ी के साथ समाप्त

लक्ष्य सेन इस टूर्नामेंट में भारत के आखिरी खिलाड़ी थे। एचएस प्रणय दूसरे राउंड में ही बाहर हो चुके थे। महिला और डबल्स वर्ग में भारत का सफर 12 नवंबर को ही समाप्त हो चुका था। किरण जॉर्ज को मलेशिया के कोक जिंग होंग ने 22-20, 21-10 से हराया। मिक्स्ड डबल्स की जोड़ी रोहन कपूर और रुत्विका गड्डे ने 20-22 के साथ तीसरे गेम में चार पॉइंट्स बचाकर भी हार दी — जैसे कोई अंतिम सांस लेने की कोशिश कर रहा हो।

क्या अब कुछ बदलेगा?

क्या अब कुछ बदलेगा?

लक्ष्य के प्रदर्शन को देखकर अल्मोड़ा के लोग गर्व से भर गए। उनके घर के बाहर लोगों ने झंडे लहराए। लेकिन स्टेट बैडमिंटन संघ के सचिव बीएस मनकोटी कहते हैं — "हमें एक टूर्नामेंट के बाद खुश नहीं होना चाहिए। हमें एक स्थायी संरचना बनानी होगी।" वह जानते हैं कि लक्ष्य जैसे खिलाड़ियों के लिए बैकिंग सिस्टम कमजोर है। उनके पास ट्रेनर नहीं, डेटा एनालिस्ट नहीं, और कभी-कभी तो अच्छी बैडमिंटन शटल भी नहीं मिलती।

कुमामोटो का निशान

इस टूर्नामेंट की कुल इनाम राशि $475,000 थी — एक बड़ी रकम, लेकिन जो भारतीय खिलाड़ियों के लिए बहुत कम है। जापानी खिलाड़ियों को इस टूर्नामेंट में घर का फायदा मिला — वातावरण, भाषा, आदतें, सब कुछ। लक्ष्य ने एक दिन के लिए दुनिया को दिखाया कि वह क्या कर सकता है। अब सवाल यह है — क्या भारत उसे उसके लायक समर्थन देगा?

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

लक्ष्य सेन के लिए यह सेमीफाइनल कितना महत्वपूर्ण था?

यह लक्ष्य सेन का 2025 बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर का तीसरा सेमीफाइनल था, जो उनकी लगातार उन्नति का संकेत देता है। हालांकि इस सीजन में उन्होंने 19 टूर्नामेंटों में से 11 में पहले राउंड में ही हार खाई, लेकिन डेनमार्क ओपन में विश्व नंबर 2 एंडर्स एंटनसन पर जीत और हांगकांग ओपन का फाइनल उनकी योग्यता को साबित करते हैं। यह मुकाबला उनके लिए विश्व रैंकिंग में ऊपर जाने का एक अवसर था।

केंटा निशिमोटो क्यों इतना खतरनाक था?

निशिमोटो एक नियंत्रित खिलाड़ी है जो अपने शॉट्स को लगभग पूरी तरह से नियंत्रित करता है। उसकी नेट पर तेज रिटर्न और बैककॉर्ट की गहरी बॉल लक्ष्य के आक्रमण को बाधित करती थी। घर के मैदान पर खेलने का फायदा, और जापानी टीम के तकनीकी समर्थन ने उसे अतिरिक्त लाभ दिया। उसने लक्ष्य के तापमान को धीरे-धीरे नीचे लाया — एक ताकतवर रणनीति।

भारत के अन्य खिलाड़ी इस टूर्नामेंट में कैसे रहे?

भारत के अन्य खिलाड़ी जल्दी ही बाहर हो गए। एचएस प्रणय दूसरे राउंड में, किरण जॉर्ज ने तीसरे राउंड में मलेशियाई खिलाड़ी को हराने की कोशिश की लेकिन हार गए। मिक्स्ड डबल्स की जोड़ी रोहन-रुत्विका ने तीसरे गेम में 20-22 से चार पॉइंट्स बचाकर भी हार दी, जो भारतीय बैडमिंटन के गहरे समर्थन की कमी को दर्शाता है।

लक्ष्य सेन के लिए अगला कदम क्या है?

अगला बड़ा टूर्नामेंट डेनमार्क ओपन है, जहां लक्ष्य ने पिछले साल विश्व नंबर 2 को हराया था। उनके लिए अब अपनी रैंकिंग को बनाए रखना और नियमित रूप से सेमीफाइनल में पहुंचना जरूरी है। लेकिन इसके लिए उन्हें एक टीम चाहिए — ट्रेनर, फिजियोथेरेपिस्ट, और डेटा एनालिस्ट — जो अभी तक उनके लिए नहीं हैं।

क्या भारतीय बैडमिंटन के लिए यह टूर्नामेंट एक चेतावनी है?

बिल्कुल। जब एक देश का एक ही खिलाड़ी टूर्नामेंट में आखिरी खिलाड़ी बन जाए, तो यह एक संकेत है कि खेल की नींव कमजोर है। चीन, इंडोनेशिया और जापान ने अपने बच्चों को छोटी उम्र से ही संगठित ट्रेनिंग दी है। भारत को अब सिर्फ लक्ष्य जैसे खिलाड़ियों को नहीं, बल्कि उनके पीछे के पूरे सिस्टम को मजबूत करना होगा।

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